और क्या बयान करुँ इस ग़म-ऐ-दिल के बारे में,
हर जाते पल से गुजारिश की है, मुझे अपने साथ ले चल
हर आते पल को जीने की कोशिश करता हूँ
क्या उसे मालूम नहीं की मैं क्या चाहता हूँ,
क्या इस बात से वह अवगत नहीं मुझे उसका साथ चाहिए
ये "अज्ञानता" तुझे पुकारती है
हे प्रभु, मेरे भगवन
मुझे राह दिखलाओ
मेरे इस बोझल मन को कर्तव्य याद दिलाओ
मेरी काया की द्वेष इच्छाओं को समर्पण समझाओ
ले चलो मेरी इन उँगलियों को थाम के वहां , जहाँ मैं तुममे खो जाऊं
जीवन का तथ्य यही है
तुम साकार हो बाकी सब निराकार है
मुझे अपने में विलोम होने दो
अब देर न कर
अब देर न कर, मेरे दाता
अब देर न कर ।
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This was not expected from u .... I just wrote a blog which is completely opposite to ur thoughts .... I am very disappointed ...
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